Saturday 24 October 2015

During Muharram (Tazia Fair) in Shahpur raging violence between Hindus and Muslims!

During Muharram (Tazia Fair) by  Muslims boy in Shahpur village a Hindu young(Uttam Singh) tried to kill and to severely injured. The Muslims  contest is open to Hindu gave warning. And the violence. Then Hindu Muslim boys knocked out. Then Muslims fled Prasasn . just now by the people of both sides have been made with another. . saved from administration outbreak of violence

मुहर्रम(ताजिया मेला) के दोरान शाहपुर में हिन्दू और मुसलिम के बीच हिंसा भड़के !


आज मुहर्रम(ताजिया मेला) के दोरान शाहपुर गांव में मुसलमानों ने एक हिन्दू युवक(उत्तम सिंह) को जान से मारने कि कोशिश किया और बूरी तरह से जख्मी कर दिया । और हिन्दू को लड़ने के लिए खुले चेतावनी दे दिया । और हिंसा भड़क गया । फिर हिन्दू लड़कों ने मुसलमानों को करारा जवाब दिया । फिर मुसलमानों ने भाग खड़ा हुआ I अभी फिलहाल दोनो पक्ष के लोगों को प्रसाशन के द्वारा आपस में मेल करा दिया गया है। प्रशासन ने हिंसा को भड़कने से बचा लिया l

Monday 12 October 2015

विश्व हिंदू रक्षा संगठन की ओर से नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं


दुर्गा माँ मन्त्र -
|| ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ ||
ॐ दुं दुर्गायै नमः
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । शरन्ये त्रयम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।
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शरणागत दीनार्तपरित्राण परायणे। सर्वस्यातिहरे देवि नारायण नमोस्तुते।।
*
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वेशक्तिसमन्विते । भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते ।।
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रोगनशेषानपहंसि तुष्टा। रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां। त्वमाश्रिता हृयश्रयतां प्रयान्ति।।
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सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। एवमेव त्वया कार्यमस्मद्दैरिविनाशनम्।।
सर्वाबाधा विर्निर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित:। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।।
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जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी । दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ।।
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देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि देवि परं सुखम् ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥

Wednesday 7 October 2015

हिंदुओं के ऊपर अन्याय क्यो ?


देख लिया भाईयों उत्तर प्रदेश की सरकार और मीडिया की करतूत । पहले मुसलमान ने राहुल यादव को गोली मारा फिर जब हिन्दूओं ने अख़लाक़ को पिट कर मार डाला तो इसे मीडिया ने अफवाह न्यूज बना दिया l मुसलमान परिवार वाले को अखिलेश यादव और कांग्रेस वाले ने इतनी बड़ी मुआवजा दिया l लेकिन राहुल यादव को ठाकुर संगीत सिंह सोम के अलावा कोई अभी मिलने तक नही गया lराहुल यादव अभी अस्पताल में भर्ती है।उत्तर प्रदेश की सरकार हिन्दू के साथ इतना भेदभाव क्यों करता है और मुसलमान को क्यों इतना मदद करता ह I उत्तर प्रदेश की सरकार मुसलमान को हमेशा खुला समर्थन देती हैा लेकिन जब कोई हिन्दूओं के पक्ष से खरा होती है तो उसे साम्प्रदयिक हिंसा फलाने वाला करार देती हैा आखिर क्या चाहती है उत्तर प्रदेश की सरकार ?

About VHRS

Welcome to Vishva Hindu Raksha Sangathan.

VHRS was established on 8th of April 2014 on the holy eve of ram navami, the basic objective of this organization is to improve ritual activities from top to bottom spread in Hindu society. VHRS also work for protection of women and serve the Hindu society in all possible ways.
Our volunteers are working continuously in four sate (Delhi, Uttar Pradesh, Haryana and Bihar) and willing to provide our services to every part of India.We access the people directly to solve their problems related to society and rituals culture.We work for protection of our ancient religion and re-create, also re-organize our system for the development of humanity.Sort out all the problems regarding social welfare so that every person can live happily without any discrimination on the basic of money, color and casteism.In a survey of Hindu society we found that there is lack of unity among Hindus. By which we concluded that it has time to re-create the bounding in Hindus society. Some of the ritual features that were not present in society.The main purpose of our organization is to implement all the thoughts of government for the improvisation of society to make it happen in real and being communicated to every citizen We also encourage youth power and use them for the development of society.We act as a medium between government and common people.We are awaring the people to understand their basic responsibility and support government in their work.We go through the society and arrange a debate to know people views and ideas so that we can act over those things immediately.

अयोध्या राम मन्दिर का इतिहास

अयोध्या राम मन्दिर का इतिहास

अयोध्या की खूनी कहानी जिसे पढ़कर आप रो पड़ेंगे। कृप्या सच्चे हिन्दुओं की संतानें ही इस लेख को पढ़ें। जब बाबर दिल्ली की गद्दी पर आसीन हुआ उस समय जन्मभूमि सिद्ध महात्मा श्यामनन्द जी महाराज के अधिकार क्षेत्र में थी। महात्मा श्यामनन्द की ख्याति सुनकर ख्वाजा कजल अब्बास मूसा आशिकान अयोध्या आये ।
महात्मा जी के शिष्य बनकर ख्वाजा कजल अब्बास मूसा ने योग और सिद्धियाँ प्राप्त कर ली और उनका नामभी महात्मा श्यामनन्द के ख्यातिप्राप्त शिष्यों में लिया जाने लगा। ये सुनकर जलालशाह नाम का एक फकीर भी महात्मा श्यामनन्द के पास आया और उनका शिष्य बनकर सिद्धियाँ प्राप्त करने लगा। जलालशाह एक कट्टर मुसलमान था, और उसको एक ही सनक थी,हर जगह इस्लाम का आधिपत्य साबित करना । अत: जलालशाह ने अपने काफिर गुरू की पीठ में छुरा घोंपकर ख्वाजा कजल अब्बास मूसा के साथ मिलकर ये विचार किया की यदि इस मदिर को तोड़ कर मस्जिद बनवा दी जाये तो इस्लाम का परचम हिन्दुस्थान में स्थायी हो जायेगा। धीरेधीरे जलालशाह और ख्वाजा कजल अब्बास मूसा इस साजिश को अंजाम देने की तैयारियों में जुट गए ।सर्वप्रथम जलालशाह और ख्वाजा बाबर के विश्वासपात्र बने और दोनों ने अयोध्या को खुर्द मक्का बनाने के लिए जन्मभूमि के आसपास की जमीनों में बलपूर्वक मृत मुसलमानों को दफन करना शुरू किया॥ और मीरबाँकी खां के माध्यम से बाबर को उकसाकर मंदिर के विध्वंसका कार्यक्रम बनाया। बाबा श्यामनन्द जी अपने मुस्लिम शिष्यों की करतूत देख के बहुत दुखी हुए और अपनेनिर्णय पर उन्हें बहुत पछतावा हुआ। दुखी मन से बाबा श्यामनन्द जी नेरामलला की मूर्तियाँ सरयू में प्रवाहित किया और खुद हिमालयकी और तपस्या करने चले गए। मंदिर के पुजारियों ने मंदिर केअन्य सामान आदि हटा लिए और वे स्वयं मंदिर के द्वार पर रामलला की रक्षा के लिए खड़े हो गए। जलालशाहकी आज्ञा के अनुसार उन चारो पुजारियों के सर काट लिए गए.जिस समय मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाने की घोषणा हुई उस समय भीटी के राजा महताब सिंह बद्री नारायण की यात्रा करने के लिए निकले थे,अयोध्या पहुचने पर रास्ते में उन्हें ये खबर मिली तो उन्होंने अपनी यात्रा स्थगित कर दी और अपनी छोटी सेना में रामभक्तों को शामिल कर १ लाख चौहत्तर हजार लोगो के साथ बाबर की सेना के ४ लाख ५० हजार सैनिकों से लोहा लेने निकल पड़े।रामभक्तों ने सौगंध ले रक्खी थी रक्त की आखिरी बूंद तकलड़ेंगे जब तक प्राण है तब तक मंदिर नहीं गिरने देंगे। रामभक्त वीरता के साथ लड़े ७० दिनों तक घोरसंग्राम होता रहा और अंत में राजा महताब सिंह समेतसभी १ लाख ७४ हजार रामभक्त मारे गए। श्रीराम जन्मभूमि रामभक्तों के रक्त से लाल हो गयी। इस भीषण कत्ले आम के बाद मीरबांकी ने तोप लगा के मंदिर गिरवा दिया । मंदिर के मसाले से ही मस्जिद का निर्माण हुआ पानी की जगह मरे हुए हिन्दुओं का रक्त इस्तेमाल किया गया नीव में लखौरी इंटों के साथ । इतिहासकार कनिंघम अपने लखनऊ गजेटियर के 66वें अंक के पृष्ठ 3 पर लिखता है की एक लाख चौहतर हजारहिंदुओं की लाशें गिर जाने के पश्चात मीरबाँकी अपने मंदिरध्वस्त करने के अभियान मे सफल हुआ और उसके बादजन्मभूमि के चारो और तोप लगवाकर मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया..इसी प्रकार हैमिल्टन नाम का एक अंग्रेज बाराबंकी गजेटियर में लिखता है की जलालशाह ने हिन्दुओं के खून का गारा बना के लखौरी ईटों की नीव मस्जिद बनवाने के लिए दी गयी थी। उस समय अयोध्या से ६ मील की दूरी पर सनेथू नाम का एक गाँव के पंडित देवीदीन पाण्डेय ने वहां के आस पास केगांवों सराय सिसिंडा राजेपुर आदि के सूर्यवंशीय क्षत्रियों को एकत्रित किया॥देवीदीन पाण्डेय ने सूर्यवंशीय क्षत्रियों सेकहा भाइयों आप लोग मुझे अपना राजपुरोहित मानतेहैं .अप के पूर्वज श्री राम थे और हमारे पूर्वजमहर्षि भरद्वाज जी। आज मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की जन्मभूमि को मुसलमान आक्रान्ता कब्रों से पाट रहे हैं और खोद रहे हैं इस परिस्थिति मेंहमारा मूकदर्शक बन कर जीवित रहने की बजायजन्मभूमि की रक्षार्थ युद्ध करते करतेवीरगति पाना ज्यादा उत्तम होगा॥देवीदीन पाण्डेय की आज्ञा से दो दिन के भीतर ९० हजारक्षत्रिय इकठ्ठा हो गए दूर दूर के गांवों से लोग समूहों मेंइकठ्ठा हो कर देवीदीन पाण्डेय के नेतृत्व में जन्मभूमि परजबरदस्त धावा बोल दिया । शाही सेना से लगातार ५दिनों तक युद्ध हुआ । छठे दिन मीरबाँकी का सामना देवीदीनपाण्डेय से हुआ उसी समय धोखे से उसके अंगरक्षक ने एकलखौरी ईंट से पाण्डेय जी की खोपड़ी पर वार कर दिया। देवीदीनपाण्डेय का सर बुरी तरह फट गया मगर उस वीर ने अपनेपगड़ी से खोपड़ी से बाँधा और तलवार से उस कायर अंगरक्षकका सर काट दिया। इसी बीच मीरबाँकी नेछिपकर गोली चलायी जो पहले ही से घायल देवीदीन पाण्डेयजी को लगी और वो जन्मभूमि की रक्षा में वीरगति को प्राप्त हुए..जन्मभूमि फिर से 90 हजार हिन्दुओं के रक्त से लाल हो गयी।
थोड़े दिन बाद बड़ी शाही फ़ौज आती थी और जन्मभूमि पुनः मुगलों के अधीन हो जाती थी..जन्मभूमि में लाखों हिन्दू बलिदान होते रहे।उस समय का मुग़ल शासक अकबर था। शाही सेना हर दिन के इन युद्धों से कमजोर हो रही थी.. अतः अकबर ने बीरबल और टोडरमल केकहने पर खस की टाट से उस चबूतरे पर ३ फीट का एक छोटा सा मंदिर बनवा दिया. लगातार युद्ध करते रहने केकारण स्वामी बलरामचारी का स्वास्थ्य गिरता चला गया था और प्रयाग कुम्भ के अवसर परत्रिवेणी तट पर स्वामी बलरामचारी की मृत्यु हो गयी .. इस प्रकार बार-बार केआक्रमणों और हिन्दू जनमानस के रोष एवं हिन्दुस्थान पर मुगलों कीढीली होती पकड़ से बचने का एक राजनैतिक प्रयास की अकबर की इस कूटनीति से कुछ दिनों के लिए जन्मभूमि में रक्त नहीं बहा।यही क्रम शाहजहाँ के समय भी चलता रहा। फिर औरंगजेब के हाथसत्ता आई वो कट्टर मुसलमान था और उसने समस्त भारत से काफिरों के सम्पूर्ण सफाये का संकल्प लिया था। उसने लगभग 10 बार अयोध्या मेमंदिरों को तोड़ने का अभियान चलकर यहाँ के सभी प्रमुखमंदिरों की मूर्तियों को तोड़ डाला। औरंगजेब के समय में समर्थ गुरु श्री रामदासजी महाराज जी के शिष्य श्री वैष्णवदास जी ने जन्मभूमि के उद्धारार्थ 30 बार आक्रमण किये। इनआक्रमणों मे अयोध्या के आस पास के गांवों के सूर्यवंशीय क्षत्रियों ने पूर्ण सहयोग दिया जिनमे सराय के ठाकुरसरदार गजराज सिंह और राजेपुर के कुँवर गोपाल सिंह तथा सिसिण्डा के ठाकुर जगदंबा सिंह प्रमुख थे। ये सारेवीर ये जानते हुए भी की उनकी सेना और हथियार बादशाही सेना के सामने कुछ भी नहीं है अपने जीवन केआखिरी समय तक शाही सेना से लोहा लेते रहे। लम्बे समय तक चले इन युद्धों में रामलला को मुक्त कराने के लिए हजारों हिन्दू वीरों ने अपना बलिदान दिया और अयोध्या की धरती पर उनका रक्त बहता रहा।ठाकुर गजराज सिंह और उनके साथी क्षत्रियों के वंशज आज भी सराय मे मौजूद हैं। आजभी फैजाबाद जिले के आस पास के सूर्यवंशीय क्षत्रिय सिर परपगड़ी नहीं बांधते,जूता नहीं पहनते, छता नहीं लगाते, उन्होने अपने पूर्वजों के सामने ये प्रतिज्ञा ली थी की जबतक श्री राम जन्मभूमि का उद्धार नहीं कर लेंगे तब तक जूता नहीं पहनेंगे,छाता नहीं लगाएंगे, पगड़ी नहीं पहनेंगे।1640 ईस्वी में औरंगजेब ने मन्दिर को ध्वस्त करने के लिए जबांज खाँ के नेतृत्व में एक जबरजस्त सेना भेज दी थी, बाबा वैष्णव दास के साथ साधुओं की एकसेना थी जो हर विद्या मे निपुण थी इसे चिमटाधारी साधुओं की सेना भी कहते थे । जबजन्मभूमि पर जबांज खाँ ने आक्रमण किया तो हिंदुओं के साथ चिमटाधारी साधुओं की सेना की सेना मिलगयी और उर्वशी कुंड नामक जगह पर जाबाज़ खाँ की सेना से सात दिनों तक भीषण युद्ध किया ।चिमटाधारी साधुओं के चिमटे के मार से मुगलों की सेना भाग खड़ी हुई। इस प्रकार चबूतरे पर स्थितमंदिर की रक्षा हो गयी । जाबाज़ खाँ की पराजित सेना को देखकर औरंगजेब बहुतक्रोधित हुआ और उसने जाबाज़ खाँ को हटाकर एक अन्य सिपहसालार सैय्यद हसन अली को 50 हजारसैनिकों की सेना और तोपखाने के साथ अयोध्या की ओर भेजा और साथ मे ये आदेश दिया की अबकी बार जन्मभूमि को बर्बाद करके वापस आना है ,यह समय सन् 1680 का था ।बाबा वैष्णव दास ने सिक्खों के गुरु गुरुगोविंद सिंह से युद्ध मे सहयोग के लिए पत्र के माध्यम संदेश भेजा । पत्र पाकर गुरु गुरुगोविंद सिंह सेना समेत तत्काल अयोध्या आगए और ब्रहमकुंड पर अपना डेरा डाला । ब्रहमकुंड वही जगह जहां आजकल गुरुगोविंद सिंह की स्मृति मे सिक्खों का गुरुद्वारा बना हुआ है। बाबा वैष्णव दास एवं सिक्खों केगुरुगोविंद सिंह रामलला की रक्षा हेतु एकसाथ रणभूमि में कूद पड़े ।इन वीरों कें सुनियोजित हमलों सेमुगलो की सेना के पाँव उखड़ गये सैय्यद हसन अली भी युद्ध मे मारा गया। औरंगजेब हिंदुओं की इसप्रतिक्रिया से स्तब्ध रह गया था और इस युद्ध के बाद 4 साल तक उसने अयोध्या पर हमला करने की हिम्मत नहीं की।औरंगजेब ने सन् 1664 मे एक बार फिर श्री राम जन्मभूमि पर आक्रमण किया । इस भीषण हमले में शाही फौज ने लगभग 10 हजार से ज्यादा हिंदुओंकी हत्या कर दी नागरिकों तक को नहीं छोड़ा। जन्मभूमि हिन्दुओं के रक्त से लाल हो गयी। जन्मभूमि के अंदर नवकोण के एक कंदर्प कूपनाम का कुआं था, सभी मारे गए हिंदुओं की लाशें मुगलों ने उसमे फेककर चारों ओर चहारदीवारी उठा कर उसे घेरदिया। आज भी कंदर्पकूप गज शहीदा के नाम से प्रसिद्ध है,और जन्मभूमि के पूर्वी द्वार पर स्थित है।शाही सेना ने जन्मभूमि का चबूतरा खोद डाला बहुत दिनो तक वह चबूतरा गड्ढे के रूप मे वहाँ स्थित था ।औरंगजेब के क्रूर अत्याचारो की मारी हिन्दू जनता अब उस गड्ढे पर ही श्री रामनवमी के दिन भक्तिभाव से अक्षत,पुष्प और जल चढाती रहती थी.
नबाब सहादत अली के समय 1763 ईस्वी में जन्मभूमि के रक्षार्थ अमेठी के राजा गुरुदत्त सिंह और पिपरपुर केराजकुमार सिंह के नेतृत्व मे बाबरी ढांचे पर पुनः पाँच आक्रमण किये गये जिसमें हर बार हिन्दुओं की लाशें अयोध्या में गिरती रहीं।लखनऊ गजेटियर मे कर्नल हंट लिखता है की लगातार हिंदुओं के हमले से ऊबकर नबाब ने हिंदुओं और मुसलमानो को एक साथ नमाज पढ़ने और भजन करनेकी इजाजत दे दी पर सच्चा मुसलमान होने के नाते उसने काफिरों को जमीन नहीं सौंपी। लखनऊ गजेटियर पृष्ठ 62नासिरुद्दीन हैदर के समय मे मकरही के राजा के नेतृत्व में जन्मभूमि को पुनः अपने रूप मे लाने केलिए हिंदुओं के तीन आक्रमण हुये जिसमें बड़ी संख्या में हिन्दू मारे गये। परन्तु तीसरे आक्रमण में डटकरनबाबी सेना का सामना हुआ 8वें दिन हिंदुओं की शक्ति क्षीण होने लगी ,जन्मभूमि के मैदान मे हिन्दुओंऔर मुसलमानो की लाशों का ढेर लग गया । इस संग्राम मे भीती,हंसवर,,मकरही,खजुरहट,दीयराअमेठी केराजा गुरुदत्त सिंह आदि सम्मलित थे। हारती हुई हिन्दू सेना के साथ वीर चिमटाधारी साधुओं की सेना आ मिली और इस युद्ध मे शाही सेना के चिथड़े उड गये औरउसे रौंदते हुए हिंदुओं ने जन्मभूमि पर कब्जा कर लिया। मगर हर बार की तरह कुछ दिनो के बाद विशाल शाही सेना नेपुनः जन्मभूमि पर अधिकार कर लिया और हजारों हिन्दुओं को मार डाला गया। जन्मभूमि में हिन्दुओं का रक्त प्रवाहित होने लगा। नावाब वाजिदअली शाह के समय के समय मे पुनः हिंदुओं ने जन्मभूमि केउद्धारार्थ आक्रमण किया । फैजाबाद गजेटियर में कनिंघम ने लिखा इस संग्राम मे बहुत ही भयंकर खूनखराबा हुआ ।दो दिनऔर रात होने वाले इस भयंकर युद्ध में सैकड़ों हिन्दुओं के मारे जाने के बावजूद हिन्दुओं नें राम जन्मभूमि पर कब्जा कर लिया। क्रुद्ध हिंदुओंकी भीड़ ने कब्रें तोड़ फोड़ कर बर्बाद कर डाली मस्जिदों को मिसमार करने लगे और पूरी ताकत से मुसलमानों को मार-मार कर अयोध्या से खदेड़ना शुरू किया।मगरहिन्दू भीड़ ने मुसलमान स्त्रियों और बच्चों को कोई हानि नहीं पहुचाई। अयोध्या मे प्रलय मचा हुआ था ।इतिहासकार कनिंघम लिखता है की ये अयोध्या का सबसे बड़ा हिन्दू मुस्लिम बलवा था। हिंदुओं ने अपना सपना पूरा किया औरऔरंगजेब द्वारा विध्वंस किए गए चबूतरे को फिर वापस बनाया । चबूतरे पर तीन फीट ऊँची खस की टाट से एक छोटा सा मंदिर बनवा लिया ॥जिसमेपुनः रामलला की स्थापना की गयी। कुछ जेहादी मुल्लाओं को ये बात स्वीकार नहीं हुई और कालांतर में जन्मभूमि फिर हिन्दुओं के हाथों से निकल गयी। सन 1857 की क्रांति मे बहादुरशाह जफर के समय में बाबा रामचरण दास ने एक मौलवी आमिर अली के साथ जन्मभूमि के उद्धार का प्रयास किया पर18 मार्च सन 1858 को कुबेर टीला स्थित एक इमली के पेड़ मे दोनों को एकसाथ अंग्रेज़ो ने फांसी पर लटका दिया । जब अंग्रेज़ो ने ये देखा कि ये पेड़ भी देशभक्तों एवं रामभक्तों के लिए एकस्मारक के रूप मे विकसित हो रहा है तब उन्होने इस पेड़ को कटवा कर इस आखिरी निशानी को भी मिटा दिया...इस प्रकार अंग्रेज़ो की कुटिल नीति के कारण रामजन्मभूमि के उद्धार का यह एकमात्र प्रयास विफल हो गया ...अन्तिम बलिदान ...३० अक्टूबर १९९० को हजारों रामभक्तों ने वोट-बैंक के लालची मुलायम सिंह यादव के द्वारा खड़ी की गईंअनेक बाधाओं को पार कर अयोध्या में प्रवेश किया और विवादित ढांचे के ऊपर भगवा ध्वज फहरा दिया।लेकिन २ नवम्बर १९९० को मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया, जिसमें सैकड़ोंरामभक्तों ने अपने जीवन की आहुतियां दीं। सरकार ने मृतकों की असली संख्या छिपायी परन्तु प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सरयू तट रामभक्तों की लाशों से पट गया था।४ अप्रैल १९९१ को कारसेवकों के हत्यारे, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने इस्तीफा दिया। लाखों राम भक्त ६ दिसम्बरको कारसेवा हेतु अयोध्या पहुंचे और राम जन्मस्थान पर बाबर के सेनापति द्वार बनाए गए अपमान के प्रतीक मस्जिदनुमा ढांचे को ध्वस्त कर दिया।परन्तु हिन्दू समाज के अन्दर व्याप्त घोर संगठनहीनता एवं नपुंसकता के कारण आज भी हिन्दुओं के सबसे बड़े आराध्य भगवान श्रीराम एक फटे हुए तम्बू में विराजमान हैं।जिस जन्मभूमि के उद्धार के लिए हमारे पूर्वजों ने अपना रक्त पानी की तरह बहाया। आज वही हिन्दू बेशर्मी से इसे एक विवादित स्थल कहता है।सदियों से हिन्दुओं के साथ रहने वाले मुसलमानों ने आज भी जन्मभूमि पर अपना दावा नहीं छोड़ा है। वो यहाँ किसी भी हाल में मन्दिर नहीं बनने देना चाहते हैंताकि हिन्दू हमेशा कुढ़ता रहे और उन्हें नीचा दिखाया जा सके।जिस कौम ने अपने ही भाईयों की भावना को नहीं समझा वो सोचते हैं हिन्दू उनकी भावनाओं को समझे। आज तक किसी भी मुस्लिम संगठन ने जन्मभूमिके उद्धार के लिए आवाज नहीं उठायी, प्रदर्शन नहीं किया और सरकार पर दबाव नहीं बनाया आज भी वे बाबरी-विध्वंस की तारीख 6 दिसम्बर को काला दिन मानते हैं।और मूर्ख हिन्दू समझता है कि राम जन्मभूमि राजनीतिज्ञों और मुकदमों के कारण उलझा हुआ है।ये लेख पढ़कर जिन हिन्दुओं को शर्म नहीं आयी वो कृपया अपने घरों में राम का नाम ना लें...अपने रिश्तेदारों से कह दें कि उनके मरने के बाद कोई राम नाम का नारा भी नहीं लगाएं।विश्व हिन्दू रक्षा सँगठन के कार्यकर्ता एक दिन श्रीराम जन्मभूमि का उद्धार कर वहाँ मन्दिर अवश्य बनाएंगे। चाहे अभी और कितना ही बलिदान क्यों ना देना पड़ेजय श्री राम धर्मो रक्षति रक्षितः

भाईयो साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जी पर बहुत अन्याय हो रहा है ।

भाईयो साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जी पर बहुत अन्याय हो रहा है ।

भाईयो साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जी पर बहुत अन्याय हुआ है। स्वतंत्रता के बाद इतनी घोर प्रताड़ना किसी की भी नहि हुई है। न जाने क्योँ भारत देश मौन है। ना जाने क्या हो गया है हम भारतीयो को क्या हम नपुसँक हो गये है। हम हमारे मर्दानगी कि बातें करते है। मै दीदि को न्याय दिलाने के लिए (आजाद करो दीदि को) का लम्बा आन्दोलन चलाने का शँखनाद कर रहा हू। जिसकी सुरुआत वाराणसी से होगी और हर जिले मे होगी। आप का क्या विचार है ? कया आप हमारे साथ है या अभी भी आपको दीदि पर हो रहे जुल्म से कोई मतलब नहि है। साध्वी प्रज्ञा जी निर्दोष है लेकिन सेकुलरिज्म को परिभाषित करने के लिए और हिन्दू भी आतंकवादी होते है के लिए इनको निशाना बनाया जा रहा है।
जब कि सच तो ये है की अगर हिन्दू आतंकवाद या इसका समर्थक होता तो दुनिया में इस्लामिक देश नहीं होता।कभी साध्वी प्रज्ञा को सबसे ज्यादा दर्दनाक तरीके से पीट करके उन्हे कैन्सर की बीमारी देने वाले पुलिस अधिकारी परमवीर सिँह भडा ना को महाराष्ट्र की BJPसरकार ने ठाणे का पुलिस कमिश्नर बनाया है।ये वही पुलिस अधिकारी है जो भगवा ध्वज को अपने जूते से कुचल कर बोलता था - बुला साली अपने भगवान को...अमेरिका मे बज रहे डंके से बहरे हो चुके नामर्दो को घर मे हिँदुओ की चीख कैसे सुनाई देगी .............?????लखवी जैसे आतंकी जेल से छूट जाते है आतंकियों पर उत्तर प्रदेश सरकार भीमेहरबान हो जाती है कश्मीर की जेल में कैद आतंकी छूट जाते है ,कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया बटला हाउस में मरे हुए आतंकियों के लिए आंसू बहाती हैतो आखिर राष्ट्र वादी विचार धारा रखने वाली खुद को कट्टर हिंदुत्व वादी पार्टी बोलने वालीशिवसेना और भाजपा की सरकार में साध्वी प्रज्ञा को कब रिहा किया जायेगाजिनके उपर लगे केस भी पूर्ण रूप से सिद्ध नहीं हुए। विश्व हिन्दू रक्षा संगठन साध्वी प्रज्ञाकी रिहाई के लिए सरकार से मांग करती है ! अगर सरकार को बिपक्ष के हंगामे का भय होतो ध्यान दे बिपक्ष के पास ले देकर केवल विरोध ही बचा है बाकि के कपडे उतर चुके हैबहुसंख्यक द्रोह के पापो का फल भोगने वाले जितना मुह खोलेंगे उनकी सेकुलरवाद की दुकानका शटर उतना ही निचे गिरेगा अब इनकी दुकाने बंद होने के कगार पर हैबुझता हुआ दिया तो फ़ड़फ़ड़ाएगा ही अतएव साध्वी प्रज्ञा जी की रिहाई के लिए उनकोन्याय देने के लिए सरकार आँखे खोल करसेकुलरता का चश्मा उतारे और प्रज्ञा जी पर हो रहेअन्याय अत्याचार को बंद करे और उनकी रिहाई का मार्ग प्रसस्त करे ।