सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है,करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है,ए शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,अब तेरी हिम्मत का चरचा गैर की महफ़िल में है,सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमान,हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है,खैंच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद,आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है,सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,है लिये हथियार दुशमन ताक में बैठा उधर,और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर,खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,हाथ जिन में हो जुनूँ कटते नही तलवार से,सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से,और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है,सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,हम तो घर से निकले ही थे बाँधकर सर पे कफ़न,जान हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम,जिन्दगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल में है,सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,यूँ खड़ा मक़तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार,क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है,दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको ना आज,दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है,वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमें ना हो खून-ए-जुनून,तूफ़ानों से क्या लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है,सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है…!!! इन्कलाब जिन्दाबाद पृथ्वी राज सिंह बाहुबली
VHRS was established on 8th of April 2014 on the holy eve of ram navami, the basic objective of this organization is to improve ritual activities from top to bottom spread in Hindu society. VHRS also work for protection of women and serve the Hindu society in all possible ways. Our volunteers are working continuously in four sate (Delhi, Uttar Pradesh, Haryana and Bihar,Assam,Maharashtra,Rajasthan) and willing to provide our services to every part of India.
Sunday 23 July 2017
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है,करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,देखता हूँ
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है,करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है,ए शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,अब तेरी हिम्मत का चरचा गैर की महफ़िल में है,सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमान,हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है,खैंच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद,आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है,सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,है लिये हथियार दुशमन ताक में बैठा उधर,और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर,खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,हाथ जिन में हो जुनूँ कटते नही तलवार से,सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से,और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है,सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,हम तो घर से निकले ही थे बाँधकर सर पे कफ़न,जान हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम,जिन्दगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल में है,सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,यूँ खड़ा मक़तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार,क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है,दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको ना आज,दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है,वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमें ना हो खून-ए-जुनून,तूफ़ानों से क्या लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है,सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है…!!! इन्कलाब जिन्दाबाद पृथ्वी राज सिंह बाहुबली
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